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मै मनीषा तोकले



मै मानवी अधिकार के लिए काम करती हूँ पिछले २५ साल से मै और मेरा जीवनसाथी अशोक दोनों पूरा टाइम सामाजिक क्षेत्र में काम करते है   हमने  आंांतर जातीय विवाह किया है यह हमारी जातीय व्यवस्था और पितृसत्ता के विरूद्व  बहुत बड़ी पहल थी



                     लेकिन इसके पहले कॉलेज के टाइम में मै एक संस्था के साथ वेश्या महिलाओं के लिए काम करती थी। उस टाइम जब बस्ती मे मै गयी तो देखा की एक आदमी एक औरत को बहुत बुरी तरह से मार रहा था। मैंने मेरे साथ के कार्यकर्ता को पूछा ,की वह मार क्यूँ रहा है। तब उसने कहाँ की ओ उसका ग्राहक है। तब मुझे बहुत बुरा लगा। मै शॉक थी की वेश्या महिलाको ,उसका ग्राहक मार रहा था जबकि मै ऐसा सोचती थी की , वैश्या महिला बहुत अच्छी तरह की जिंदगी जीती है पर यहां तो अलग ही दिख रहा था। तभी मैंने तय किया की मै महिलाओं के साथ काम करूंग। उसके बाद मै मानवी अधिकार के काम मै जुड़ गई। दलित अधिकार के लिए दलित अत्याचार जमीन अधिकार के लिए काम करने लगी। साथ मै महिलाओं के अत्याचार और उनके हर तरह के अधिकार को लेकर दलित महिलाओंके साथ काम करने लगी। मेरे सामने चुनौतियां थी की मै जातीय, लिंग आधारित भेदभाव होते हुए मुझे मेरे काम की वजह से दलित समाज और महिलाओं मै मान्यता प्राप्त हुयी।      मेरे काम का परिणाम जो हुआ वह ये हैं की मानवी अधिकार और जेंडर समानता का दृष्टिकोण त्यार हुआ। पीड़ितमहिलाये लड़किया आज न्याय और सन्मान के साथ खुशहाल जिंदगी जी रही है। सिंगल महिलाये ,दलित महिलाये ,पीड़ित महिलाये ,निर्णय प्रक्रिया मै है। लीडर के भूमिका मै काम करती है। उनको ऐसे देखती हूँ तो गर्व महसूस करती हूँ। 

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